तात्कालिक सरकार की गलती, भुगत रहे शिक्षामित्र
तात्कालिक सरकार की गलती, भुगत रहे शिक्षामित्र शिक्षामित्र समायोजन पर हाई कोर्ट के फैसले के बारे में क्या कहूँ? क्योंकि वो सर्वोच्च अदालत है, कोई टिप्पणी बनती ही नही। हमारे देश का कानून कहता कि जिसका दोष हो सजा उसको ही मिले, लेकिन न जाने कितने बेकसूर हैं जो किसी और के किये की सजा भुगत रहे हैं। उन बेकसूरों में आज 1.72 लाख लोग शामिल हैं। जरा सोचिए, कहा जाए कि मुझे डीएम बना दिया जाए तो क्या ऐसा मुमकिन है? क्या कोई मुझे डीएम बना देगा? नही बिल्कुल नही। बेचारे 2250 रुपये प्रतिमाह से नौकरी शुरू करके 3500 रुपये तक पहुंचे थे। सरकार ने उन्हें दूरस्थ शिक्षा के जरिए बी.टी.सी. कराई, फिर इनका समायोजन किया। सरकार उनको माननीय हाई कोर्ट के समायोजन रद्द करने के बावजूद लगभग 2 साल तक वेतन भी देती रही। फिर अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उनके समायोजन को रद्द कर दिया। इसके लिए जिम्मेदार किसे माना जाए? वह लोग जो 3500 रुपये प्रतिमाह नौकरी कर रहे थे या फिर सरकार? जो उंगली से पौंचा पकड़कर समायोजन तक ले गई। क्या सरकार को नही पता था कि जिस आधार पर सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करके उनका समायोजन किया जा रह