मजहबी डिबेट पर पाबंदी जरूरी
मजहबी डिबेट पर पाबंदी जरूरी न्यूज़ चैनलों पर मज़हबी डिबेट पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। मज़हबी बहस के लिए न्यूज़ चैनल के स्टूडियो मुनासिब जगह नहीं हैं। आए दिन यहां कुछ लोगों को बैठाकर इस्लामी शरीयत पर बहस होती है। इसके बजाए शिक्षा, बेरोज़गारी, स्वास्थ जैसे मुद्दों पर बहस हो तो कुछ फायदा हो सकता है। कुछ फ़िरक़ापरस्त चैनल हिन्दू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। महसूस यह भी होता है कि उनका एजेंडा इस्लामी शरीयत पर हमला कर नफरत फैलाना है। कुछ कठमुल्लों को बुलाकर इस्लाम और शरीयत के खिलाफ बहस कराते हैं। यह कठमुल्ले कुछ पार्टियों की चापलूसी करते नजर आते हैं। मुस्लिम समुदाय में एक से बढ़कर एक आलिम, स्कालर मौजूद हैं। ऐसे लोग टीवी डिबेट में होने वाली बदतमीज़ियों की वजह से वहां जाना पसंद नहीं करते हैं। इसलिए न्यूज़ चैनल गुमनाम और नीम मुल्लाओं को पकड़-पकड़कर लाते हैं।