शकेब जलाली, दुश्वारियों से जन्मा शायर
शकेब जलाली, दुश्वारियों से जन्मा शायर 1934 में जन्मे शायर शकेब जलाली को यहां कम लोग ही जानते हैं। वह हिन्दुस्तान में पैदा हुए उर्दू शायर थे। उनका असली नाम सैयद हसन रिजवी था। उनके पूर्वज हिन्दुस्तान के अलीगढ़ के पास जलाली नाम के छोटे से कस्बे में रहते थे। महज 10 साल की उम्र में उनकी मां सड़क हादसे में चल बसी थीं। इसके बाद उनके पिता अपना दिमागी संतुलन खो बैठे और कुछ वक्त बाद वह भी चल बसे। जलाली ने मैट्रिक बदायूं से पास किया था। बाद में अपनी बहनों के साथ रावलपिंडी, पाकिस्तान में चले गए। पाकिस्तान पहुंचकर बी.ए. पास किया और शादी कर ली। इस दौरान तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। रोजी-रोटी के लिए उन्होंने एक अखबार में नौकरी शुरू कर दी। जलाली ने कई साहित्यिक पत्रिकाओं में काम किया और फिर लाहौर चले गए। उन्होंने सादगी के साथ उर्दू शायरी की और नज़्म, रुबाई, कतआत में भी हाथ आजमाया। सन 1966 में किसी मनोरोग की वजह से रेलवे पटरी पर आत्महत्या की कर ली। दुश्ववारियों ने उंगली पकड़कर दुनिया को एक नए रंग में देखने वाली नजर बख्शी। शकेब ने इस नजर को गजलों की शक्ल दी...पेश है खिराजे अकीदत बतौर कुछ कलाम