रक्षाबंधन
पवित्र प्यार का अनमोल बंधन रक्षाबंधन सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते की बुनियाद है। प्यार, विश्वास और रक्षा के संकल्प से बुना एक पवित्र बंधन। यह दिन महज़ राखी बांधने का नहीं, बल्कि उन अनगिनत यादों, हंसी-ठिठोली, नोकझोंक और अपनत्व के एहसास को फिर से जीने का है, जो बचपन से लेकर आज तक इस रिश्ते की नींव को मज़बूती देते हैं। इस दिन हर बहन की आंखों में भाई को देखने की चमक के साथ बचपन की तस्वीरें उभरने लगती हैं। वो चॉकलेट के लिए हुई मासूम लड़ाइयाँ, खिलौनों को लेकर नोंक-झोंक और फिर बिना कहे ही गलती माफ़ कर देने का अपना अलग अंदाज़। रक्षाबंधन उन बीते पलों को फिर से जीने का सबसे प्यारा जरिया बन जाता है। शादी के बाद चाहे बहन दूर चली जाए, लेकिन रक्षाबंधन की अनोखी सुबह उसे अपने मायके की दहलीज की तरफ खींच ही लाती है। वो दहलीज, जहां उसकी हंसी के साथ भाई की शरारतें और मां की ममता आज भी महकती हैं। एक बहन के लिए भाई का घर सिर्फ़ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि उसकी भावनाओं का मंदिर होता है। इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यह संपत्ति और भौतिकता से परे दिल की गहराइयों से जुड़ा...