रक्षाबंधन

पवित्र प्यार का अनमोल बंधन

रक्षाबंधन सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते की बुनियाद है। प्यार, विश्वास और रक्षा के संकल्प से बुना एक पवित्र बंधन। यह दिन महज़ राखी बांधने का नहीं, बल्कि उन अनगिनत यादों, हंसी-ठिठोली, नोकझोंक और अपनत्व के एहसास को फिर से जीने का है, जो बचपन से लेकर आज तक इस रिश्ते की नींव को मज़बूती देते हैं।

इस दिन हर बहन की आंखों में भाई को देखने की चमक के साथ बचपन की तस्वीरें उभरने लगती हैं। वो चॉकलेट के लिए हुई मासूम लड़ाइयाँ, खिलौनों को लेकर नोंक-झोंक और फिर बिना कहे ही गलती माफ़ कर देने का अपना अलग अंदाज़। रक्षाबंधन उन बीते पलों को फिर से जीने का सबसे प्यारा जरिया बन जाता है।

शादी के बाद चाहे बहन दूर चली जाए, लेकिन रक्षाबंधन की अनोखी सुबह उसे अपने मायके की दहलीज की तरफ खींच ही लाती है। वो दहलीज, जहां उसकी हंसी के साथ भाई की शरारतें और मां की ममता आज भी महकती हैं। एक बहन के लिए भाई का घर सिर्फ़ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि उसकी भावनाओं का मंदिर होता है। इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यह संपत्ति और भौतिकता से परे दिल की गहराइयों से जुड़ा होता है।

हाँ, समाज में कुछ अपवाद भी हैं, जहाँ लालच या गलतफहमियों ने रिश्तों की गर्माहट को ठंडा कर दिया हो। ऐसा कला साया भी इस त्योहार की रौशनी को कम नहीं कर सकता क्योंकि असली राखी वही है, जिसमें धागे का हर सूत प्रेम, त्याग और भरोसे की दास्तां बयान कर रहा हो।

रक्षाबंधन हमें यह याद दिलाता है कि समय, दूरी या हालात चाहे जैसे भी बदल जाएँ, लेकिन भाई-बहन का रिश्ता दिल के सबसे सुरक्षित कोने में हमेशा जवान रहता है। यह धागा कलाई पर जितना कसकर बंधता है, दिलों को उससे कहीं ज़्यादा मज़बूती से जोड़ देता है... हर पल, हर सांस, हर जन्म तक।

दुआ है आपका साथ, आपका स्नेह और आपका विश्वास यूँ ही जीवनभर महकता रहे। यह बंधन हमेशा प्यार की मिठास और अपनत्व की गरमाहट से भरपूर बना रहे। इस पावन पर्व पर सभी बहनों और भाइयों को दिल की गहराइयों से मुबारकबाद...

© अरशद रसूल


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