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बुराइयां जलाने की जरूरत

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बुराइयां जलाने की जरूरत पर्यावरण की रक्षा के लिए उपलों की होली जलाना बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसके अलावा हम सभी को मिलकर उन बुराइयों की होली जलानी चाहि ए , जो विनाश के बजाय सामाजिक विकास में सहायक हो... अरशद रसूल त्यो हार पर एक ही दिन में लाखों पेड़ अग्नि में स्वाह हो जाते हैं। एक साथ न जाने कितनी तरह की गैसों का जहर पर्यावरण में घुल जाता है। त्योहार पर एक बड़े इलाके में लहलहाने वाले पेड़ों का सफाया हो जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के दौर में क्या यह ठीक है? उत्तर भारत में मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले लोहड़ी मनाने की परंपरा है। ऐसे ही दक्षिण भारत में पोंगल मनाया जाता है। होलिका दहन की तरह ही लोहड़ी पर भी आग जलाई जाती है। सामूहिक और पारिवारिक रूप से लोग इसमें भाग लेते हैं। तर्क कहा जाए या किदवंती कि लोहड़ी पर आग जलाने से पृथ्वी गर्म हो जाती है और सर्दी में ठिठुरन से छुटकारा मिलता है।     अग्नि पवित्र होती है और हमारे लिए ऊष्मा का महत्त्वपूर्ण स्रोत भी है। यह भी सच है कि मानव जीवन के लिए अग्नि का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके साथ ही सवाल यह भी है कि जिस तरह आज लोहड़ी मनाई जाती है, क्या वह प्

अंतर्मन को झकझोरता है "दरपन"

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अंतर्मन को झकझोरता है " दरपन "  'दरपन ' हिंदी कोटेशन की एक अनूठी किताब है, जो हर व्यक्ति के अंतर्मन को झकझोरने के Iलिए काफी है। किताब की खासियत यह है कि इसमें आसान हिंदी के आसान हिंदी का प्रयोग किया गया है। लेखक अरशद रसूल की इस किताब को अबीहा पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। पॉकेट साइज में 64 पेज की इस किताब में जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर आसान हिंदी शब्दों में अनमोल कोटेशन है। छोटा साइज होने के कारण किताब को आसानी से जेब में भी रखा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या के साथ प्रकाशित यह किताब वास्तव में पढ़ने योग्य है।  किताब को अमेज़न, फ्लिपकार्ट से खरीदा जा सकता है। यह किंडल ईबुक स्टोर पर भी उपलब्ध है। लेखक ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से प्रभावित होकर इस किताब को लिखा है। विश्व हिंदी दिवस पर प्रकाशित यह किताब कलाम साहब को ही समर्पित की गई है। उदाहरण के तौर पर पेश हैं कुछ कोटेशन- कभी भी किसी से जलना नहीं चाहिए। अंतर्मन से निकलने वाला धुआं अपने ही बुद्धि-विवेक और आत्मा को दूषित कर देता है। दुनिया को बदल देने का मिशन नाकाम हो सकता है। अपने वुजूद को ही दुन

झूठी कहानी सुना दें

अगर आप चाहे तो गरदन उड़ा दें यह मुमकिन नहीं हम कसीदा सुना दें तुम्हें शान अपनी बढ़ानी अगर हो उसे आज झूठी कहानी सुना दें यहां भूख रो कर यही कह रही है सुकूं के लिए ज़हर देकर सुला दें खुदा मान सकते नहीं नाखुदा को अगर आप चाहे सफ़ीना डुबा दें हमें गम की तौहीन करनी नहीं है जगह बे जगह कैसे आंसू गिरा दें वतन पर बुरा वक्त आने न पाए ज़रूरी अगर हो यह सर भी कटा दें मकां तो बनाया बड़ा खूबसूरत अगर हो मुनासिब इसे घर बना दें

दूर ही रहना

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दूर ही रहना प्यारे देशवासियों, आप सभी जानते हैं इन दिनों हमारा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। यह एक ऐसी भयानक बीमारी है जो एक इंसान से दूसरे में और धीरे-धीरे समाज में फैलती है। आपस में ज़्यादा मिलने जुलने और संपर्क बढ़ने से इसका वायरस बहुत तेजी से फैलता है। सिर्फ एहतियात बरतकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने देश भर में लॉक डाउन का एलान किया है। इन हालात में हमें चाहिए कि हम सभी लाॅक डाउन का पूरी तरह से पालन करें, एक दूसरे के संपर्क में आने से बचें, सफाई का खास ध्यान रखें और अपने घरों में ही रहे। लॉक डाउन के दौरान हमें कोई परेशानी न हो, इसलिए रोजाना जरूरत की सभी चीजें हमें आसानी से मुहैया हो रही हैं। देशहित में वक्त का तकाजा यही है कि हम एक-दूसरे के संपर्क में आने से बचें, घर पर रहकर लॉक डाउन का पूरी तरह से पालन करें। यह बात भी सही है कि लॉक डाउन की वजह से हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन इंसानी जिंदगी बचाने के लिए यह एक जरूरी कदम है। आमतौर पर देखने में आ रहा है कि लोग

पानी है अनमोल

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पानी है अनमोल पर्यावरण को बचाना जीवन बचाने के बराबर है। इस जीवन के लिए जल संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। जल संरक्षण को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने एक आदेश जारी किया था। इसके तहत सरकारी कार्यालयों में आने वाले लोगों को आधा गिलास पानी दिया जाए। बाद में मांगे जाने पर अतिरिक्त पानी दिया जा सकता।     तर्क यह था कि जब प्यास लगती है तो हर इंसान पूरा गिलास पानी नहीं पीता। इस स्थिति में बचा हुआ आधा गिलास पानी फेंकना पड़ता है। चूंकि उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है , इसलिए यहां विधानसभा और अन्य सरकारी कार्यालयों में आने - जाने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है। इस स्थिति में अनुमान लगाया जा सकता है कि आधे लोग भी आधा गिलास पानी फेंक दें दो एक बहुत बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी होगी।     उत्तर प्रदेश विधानसभा का यह प्रयास वाकई बहुत ही काबिले तारीफ है। इस आदेश को पूर