सबका साथ, सबका विकास भाजपा सबका साथ, सबका विकास कर रही है। अब देखो, तय अवधि रोजगार की अधिसूचना चुपके से सभी सेक्टर में जारी और लागू कर दी। मौजूदा और आने वाली पीढ़ी को ठेकेदारी प्रथा में धकेलने का काम है। रखो या निकालो, कोई आवाज नहीं उठा सकता। इस तरह निजीकरण हर सेक्टर में फलेगा-फूलेगा। साथ ही आरक्षण की व्यवस्था भी समाप्त। इससे जो सवर्ण खुश हो सकते हैं, उनके लिए भी ये खबर है कि महाराज आपके बच्चे भी कोई पक्की नौकरी नहीं पाएंगे। जहां-तहां कभी चार महीने की तो कभी तीन महीने की नौकरी मिलेगी। कितने की मिलेगी, क्या सुविधा मिलेगी, ये पूछना भी मत। ऐसा इसलिए कि जिनकी पक्की नौकरी है वे ही पैदल हो रहे हैं। मार्च 18 की समाप्ति पर बरेली में बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर तक को प्रदर्शन में आना पड़ा क्योंकि योगी सरकार इस विभाग को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। ये भी जान लीजिए कि इसका समर्थन किसने किया। जवाब है-भारतीय मजदूर संघ ने। ये विंग आरएसएस की है। 15 फरवरी को हुई मीटिंग में बीएमएस ने समर्थन दिया। श्रमिकों में भ्रम पैदा करने को अब इसका ख...
- अरशद रसूल सर तो कटा सकते हैं, सर को झुका सकते नही... इंसाफ की डगर पे बच्चों दिखाओ चलके...यह देश है तुम्हारा नेता तुम्हीं हो कल के... सचमुच शकील बदायूंनी के ये गीत नहीं बल्कि एक आंदोलन है। बरसों पुराने ये नगमे आज भी अमर और लाजवाब है। इनको सुनकर देश के जांबाज सैनिकों के खून में दुश्मन के खिलाफ उबाल आता है तो नौनिहालों के मन में देशभक्ति की भावना के अंकुर जरूर फूटते हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य राष्ट्रीय पर्वों पर इन गीतों की गूंज कानों में रस जरूर घोलती है। इल्म से फ़िल्म तक का कामयाब सफ़र तय करके तमाम फिल्मों में सदाबहार नगमे लिखकर वो अमर हा गए। आमतौर पर शकील बदायूंनी को रूमानी शायर कहा जाता है। अगर ईमानदारी के चश्मे से देखा जाए तो उनके कलाम में हर वह रंग शामिल है, जिसकी समाज को दरकार है। उनके कलाम में साक़ी, मयखाना, शिकस्ता दिल, जिगर वगैरह सभी का बेहद ख़ूबसूरती के साथ जिक्र मिलता है। साथ ही उन्होंने समाज की सच्ची तस्वीर को भी अपने अलफ़ाज़ में बयां किया है। अपने गीत और ग़ज़लों के जरिए शकील आज भी जिंदा हैं। उन्होंने सभी तरह की शायरी की, चाहे वह र...
हमदे पाक मुक़द्दर जब मिरी आंखों में आंसू भेज देता है, मिरा मौला मिरी कश्ती लबे जू भेज देता है। सजा देता है फिक्रो फन की राहों को मिरा मौला, क़लमकारों की तहरीरों में जादू भेज देता है। इरादा जब भी करता हूं मैं हम्दे पाक लिखने का, कलम में और लफजों में वह खुष्बू भेज देता है। अंधेरों के मनाजि़र जब मिरी हस्ती में आते हैं, मकाने दिल में रहमत के वह जुगनू भेज देता है। मुझे अपनी खताओं पर नदामत जब भी होती है, पषेमानी के आंखों में वह आंसू भेज देता है। जहां पर कुक्रो जुल्मत के बना करते हैं मनसूबे, खुदा तनवीर वहदत की उसी सू भेज देता है। हमारी जिंदगानी की मिटा देता है तारीकी, अंधेरी रहगुजारों में वह जुगनू भेज देता है।
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