मुस्कुराती बहारों को नींद आ गई

मुस्कुराती बहारों को नींद आ गई

आज यूं गम के मारों को नींद आ गई,
जैसे जलते  शरारों को  नींद आ गई।

थे  ख़ज़ां में  यही होशियार-ए-चमन,
फूल चमके तो खारों को नींद आ गई।

तुमने नज़रें उठाईं सर-ए-बज़्म जब,
एक पल में हजारों को नींद आ गई।

वो जो गुलशन में आए मचलते हुए,
मुस्कुराती बहारों  को नींद आ गई।

चलती देखी है 'अरशद'' इक ऐसी हवा,
जिससे दिल के शरारों को नींद आ गई।
------------------
शब्दार्थ... शरारों = अंगारों, खजां = पतझड़, चमन/गुलशन = उपवन, खारों = कांटों, बज़्म = महफ़िल, बहार = बसंत।

Comments

Popular posts from this blog

सबका साथ, सबका विकास

सर तो कटा सकते हैं, सर को झुका सकते नहीं

हम्द पाक