विकास नहीं जज़्बात भुनाने का नाम है सियासत
विकास नहीं जज़्बात भुनाने का नाम है सियासत
नेता जी- अबे गुड्डू! एक 7-8 मिनट का भाषण तो लिख दे, मुस्लिम बस्ती में देना है। भाषण ऐसा हो कि सब के सब वोट हमें ही मिलें।
गुड्डू- जी सरकार... और आधे घंटे बाद एक पर्चा लेकर हाज़िर हुआ। नेता जी ने पढ़ा तो बोले अबे इत्ता सा मैटर! यह तो 2 मिनट में ही खत्म हो जाएगा।
गुड्डू- सरकार यह भाषण आपको ठीक 6:18 बजे शुरू करना है और 6:20 पर अज़ान होगी, तब खामोश हो जाना है। अज़ान खत्म हो जाए तो कहना है, देखो भाइयों अभी अज़ान में कहा गया है कि आओ कामयाबी की तरफ, तो जाओ कामयाबी की तरफ। नमाज़ पढ़ो तो कामयाब हो जाओगे। मुझ गुनाहगार के भाषण में क्या रखा है भाइयों ? जाते हुए लोगों में से एक नोजवान को अपनी टोपी भी उतार कर पहना देना, यह कहते हुए कि मालिक के सामने नंगे सर नहीं जाते बेटा...
नेता ने गुड्डू के चरणों मे लोट लगा दी और उसका माथा चूम लिया और बोले अगर तू मेरी तरह किसी नेता का लौंडा होता तो आज किसी सूबे का मुख्यमंत्री होता, क्या खोपड़ी है बे तेरी!
नेता जी ने ठीक वैसा ही भाषण दिया और सारे वोट नेता जी की तरफ। रिजल्ट यह रहा कि अब गुड्डू मंत्रीजी का पी.ए. बन गया है।

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