बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम, समझ से परे
बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम का मामला आम इंसान की समझ से परे नजर आता है। हर कोई यह जानने को बेताब है कि यह मुहिम पशुवध के खिलाफ है या वर्ग विशेष और छोटे-मोटे कारोबारियों को डराने-धमकाने के लिए ? अगर पशुवध गलत है तो फिर कुछ खास कारोबारियों को हजारों की पशु काटने का लाइसेंस क्यों ? वजह साफ है सुगबुगाहट के अनुसार ये लोग आपको चुनौती देने की तैयारी में हैं। आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स का कहना है कि इस ज्यादती खिलाफ वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
वैसे भी सत्तारूढ़ भाजपा ने उत्तर प्रदेश में सभी मशीनी बूचड़खाने बंद करने का वादा किया था। इस वादे पर अमल करने में सरकार को केंद्र में अपनी ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सूबे के सभी मशीनी बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। इसे अमली जामा पहनाने की दिशा में योगी सरकार का कहना है कि यू.पी. में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद कराना और मशीनी पशु वधशालाओं पर प्रतिबंध उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।
आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का मानना है कि अवैध बूचड़खाने बंद करने का फैसला तो सही है लेकिन लाइसेंसी मशीनी बूचड़खानों को बंद करने पर मुश्किल सामने आ सकती है। चूंकि केन्द्र में भाजपा की ही सरकार है, इसलिए अपनी ही पार्टी के प्रति यह विरोधाभासी फैसला होगा। जरूरत पड़ने पर एसोसिएशन इसे अदालत में चुनौती भी देगी। क्योंकि केद्र सरकार ने बूचड़खानों को बाकायदा एक उद्योग का दर्जा दे रखा है। उसका खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय मशीनी बूचड़खाने लगाने के लिए 50 फीसद तक अनुदान देकर इस कारोबार को प्रोत्साहित भी करता है। वहीं पूरे देश के कुल मांस निर्यात में अकेली उत्तर प्रदेश की तकरीबन 50 फीसद हिस्सेदारी है। इतना बड़ा मांस निर्यात कर राजस्व देने वाले सूबे की सरकार मशीनी बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है। यह भी सुगबुगाहट है कि प्रदेश सरकार ने मशीनी बूचड़खाने बंद करने के लिए अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है। इसके बावजूद प्रदेश में तमाम जगहों पर बूचड़खाने बंद किए जा रहे हैं।
अगर मशीनी बूचड़खाने बंद किए गए तो इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। इससे उन किसानों पर भी असर पड़ेगा, जो बूढ़े हो चुके अपने जानवरों को बूचड़खानों में बेच देते हैं। इस समय देश से करीब 26,685 करोड़ रुपये का मांस अन्य देशों में भेजा जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश में सभी मशीनी बूचड़खानों को बंद कर दिया तो यह निर्यात घटकर लगभग आधा हो जाएगा।
वैसे भी सत्तारूढ़ भाजपा ने उत्तर प्रदेश में सभी मशीनी बूचड़खाने बंद करने का वादा किया था। इस वादे पर अमल करने में सरकार को केंद्र में अपनी ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सूबे के सभी मशीनी बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। इसे अमली जामा पहनाने की दिशा में योगी सरकार का कहना है कि यू.पी. में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद कराना और मशीनी पशु वधशालाओं पर प्रतिबंध उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।
आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का मानना है कि अवैध बूचड़खाने बंद करने का फैसला तो सही है लेकिन लाइसेंसी मशीनी बूचड़खानों को बंद करने पर मुश्किल सामने आ सकती है। चूंकि केन्द्र में भाजपा की ही सरकार है, इसलिए अपनी ही पार्टी के प्रति यह विरोधाभासी फैसला होगा। जरूरत पड़ने पर एसोसिएशन इसे अदालत में चुनौती भी देगी। क्योंकि केद्र सरकार ने बूचड़खानों को बाकायदा एक उद्योग का दर्जा दे रखा है। उसका खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय मशीनी बूचड़खाने लगाने के लिए 50 फीसद तक अनुदान देकर इस कारोबार को प्रोत्साहित भी करता है। वहीं पूरे देश के कुल मांस निर्यात में अकेली उत्तर प्रदेश की तकरीबन 50 फीसद हिस्सेदारी है। इतना बड़ा मांस निर्यात कर राजस्व देने वाले सूबे की सरकार मशीनी बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है। यह भी सुगबुगाहट है कि प्रदेश सरकार ने मशीनी बूचड़खाने बंद करने के लिए अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है। इसके बावजूद प्रदेश में तमाम जगहों पर बूचड़खाने बंद किए जा रहे हैं।
अगर मशीनी बूचड़खाने बंद किए गए तो इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। इससे उन किसानों पर भी असर पड़ेगा, जो बूढ़े हो चुके अपने जानवरों को बूचड़खानों में बेच देते हैं। इस समय देश से करीब 26,685 करोड़ रुपये का मांस अन्य देशों में भेजा जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश में सभी मशीनी बूचड़खानों को बंद कर दिया तो यह निर्यात घटकर लगभग आधा हो जाएगा।

Comments
Post a Comment