हम्द पाक

हमदे पाक

मुक़द्दर जब मिरी आंखों में आंसू भेज देता है,
मिरा मौला मिरी कश्ती लबे जू भेज देता है।

सजा देता है फिक्रो फन की राहों को मिरा मौला,
क़लमकारों की तहरीरों में जादू भेज देता है।

इरादा जब भी करता हूं मैं हम्दे पाक लिखने का,
कलम में और लफजों में वह खुष्बू भेज देता है।

अंधेरों के मनाजि़र जब मिरी हस्ती में आते हैं,
मकाने दिल में रहमत के वह जुगनू भेज देता है।

मुझे अपनी खताओं पर नदामत जब भी होती है,
पषेमानी के आंखों में वह आंसू भेज देता है।

जहां पर कुक्रो जुल्मत के बना करते हैं मनसूबे,
खुदा तनवीर वहदत की उसी सू भेज देता है।

हमारी जिंदगानी की मिटा देता है तारीकी,
अंधेरी रहगुजारों में वह जुगनू भेज देता है।

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